Sunday, 29 March 2015

एक लम्हा

एक लम्हा था जो कही गुम था... अर्जे़ से थी उसकी तलाश दिन रात.... बड़े सारे आँसू बह गये उसी के आर्ज़ू मे... फिर आज वो लम्हा अचानक आया ऐसे की मानो वो यही कही दरवाज़े के पीछे था छुपा. फिर आज वो लम्हा अचानक आया ऐसे की मानो अपने साथ सौ बहार था लाया जैसे.